Saturday, November 14, 2020

" White Man's Burden "  - A Poem By Rudyard Kipling (Hindi Translation)

 

 

वर्ष 1899 में रुडयार्ड किपलिंग, जिनका जन्म भारत में ही हुआ था, ने गोरे लोगो की प्रशंसा में एक कविता लिखी जिसका शीर्षक "द व्हाइट मैंस बर्डन" था। इस कविता में उसने यूरोपियन (गोरो) के द्वारा अफ्रीका, एशिया में अन्य नस्ल के लोगो पर किये जाने वाले शासन को काफी दुष्कर, कठिन और ईश्वर प्रदत्त काम बताया हैं । उसके अनुसार जिसका फ़ायदा यूरोपियन (गोरो) को न होकर काले और भूरे लोगो को हैं। ऊपर से उसने गोरो को एक सर्वोत्तम प्रजाति बताते हुये दर्शाया हैं की वे अन्य प्रजातियों को शिक्षित करने के काम को कर्तव्य मानकर कर रहे हैं ।
(यह कविता नस्लवाद की एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं)


THE WHITE MAN'S BURDEN – Rudyard Kipling (1899)

Take up the white Man's Burden
Send forth the best ye breed
Go bind your sons to exile
To  serve your captives need.
To wait in heavey harness
on fluttered folk and wild
your new caught sullen peoples
Half Devil and Half Child. (1)

गोरे को यह भार सहना पड़ेगा
अपने सर्वोत्तम लोगो को भेजना पड़ेगा
तुम्हारे कैदियो की जरूरतों को पूरा करने ले लिए
अपने बच्चो को (अपने से) दूर भेजना पड़ेगा
तुम्हारे नए बन्दी अर्द्धसभ्य, बर्बर और असंस्कृत हैं,
उस अज्ञानी, असंगठित , जंगली जनता को सुधारने के लिए
अथक परिश्रम करना पड़ेगा। (1)


Take up the White Man's Burden
in patience to abide
To veil the threat of terror
And check the show of pride.
By open speech and simple
An hundred times made plain
To seek another's profit
and work another's gain. (2)

गोरे को यह भार सहना पड़ेगा।
संयम और लगन से मिलकर
भय और धमकी के वातावरण से बचकर
और दम्भ से दूर रहकर
अपनी  स्वच्छ  अभिव्यक्ति  एवं विचारो को (साधारण लोगो तक) पहुंचाकर
किसी अन्य (काले लोगों) के फ़ायदा के लिए
और किसी अन्य (काले लोगों) के लिए काम के लिए  (2)



Take up the White Man's burden
The savage wars of peace
fill full the mouth of famine
and bid the sickness cease
And when your goal is nearest
To end for others sought
which sloth and heathen folly
Bring all your hopes to nought. (3)

गोरे को यह भार सहना पड़ेगा।
शांति के लिए बर्बर युद्ध लड़ना पड़ेगा
अकाल का मुह (अनाज से) भरना पड़ेगा।
बीमारियो को (दवाओ से) रोकना पड़ेगा।
और जब तुम्हारा लक्ष्य नजदीक होगा
तब सावधान रहना क्योकि ये आलसी, अज्ञानी
और असभ्य (लोग) तुम्हारे अच्छे काम पर पानी फेर देंगे। (3)



Take up the White Man's burden
No tawdry rule of kings
But toil of serf and sweeper
The tale of common things
The ports ye shall not enter
The roads ye shall not tread
Go make them with your living
And Mark them with your deed. (4)

गोरे को यह भार सहना पड़ेगा।
इसमें राजाओ की शान और शौकत (प्रसिद्धि) नहीं हैं।
परन्तु किसानों और सफाईगारों का श्रम हैं,
इसकी कहानी अति साधारण (उबाऊ) हैं।
जिन बंदरगाहों में तुम कभी नहीं जाओगे
जिन सड़कों पर तुम कभी नहीं चलोगे
जाओ जाकर अपने खून पसीने से उसे बनाओ
और अपने उच्च कौशल से उनका निर्माण करो । (4)


Take up the White Man's Burden
And reap his old reward
The blame fo those ye better
The hate of those ye guard
The cry of hosts ye humour
(Ah slowly) Towards the lifht
“Why brought ye us from bondage,
“Our loved egyptian night?” (5)

गोरे को यह भार सहना पड़ेगा।
और उसका पुरस्कार भी मिलेगा
उनके आरोप, जिन पर तुमने राज किया (जीवन स्तर सुधारा)
उनकी घृणा, जिनकी तुमने सुरक्षा की
उनके विरोध जिन्हे तुम कड़ी मेहनत से (ज्ञान के) प्रकाश की ओर ले गए
कि "क्यो तुम हमे मिस्त्री यहूदीयों की तरह गुलामी के अँधेरे से बाहर लाये ।" (5)



Take up the White Man's Burden
Ye dare not stoop to less
Nor call too loud on freedom
To cloack your weariness
By all ye cry or whisper
By all ye leave or do
The silent sullen peoples
Shall weigh your Gods and you.(6)

गोरे को यह बोझ सहना पड़ेगा
फिर भी तुम इससे पीछे न हटना
ना ही तुम अपनी आज़ादी के नाम पर
अपनी थकावट को छिपाना।
क्योंकि कितने भी (तुम्हारे) आँसू हो या दर्द हो
या (तुम्हारे) कर्म हो या श्रम हो
ये मूक असभ्य लोग, तुम्हारी सभ्यता
और संस्कृति की ही निन्दा करेंगे। (6)



Take up the White Man's Burden
Have done with childish days
The lightly proffered laurel
The easy, ungrudged Praise
Comes now, to search your manhood
Through all the thankless years
Cold-edged with dear bought wisdom
The judgement of your peers. (7)


गोरे को यह बोझ सहना पड़ेगा
उन आसान और सस्ती प्रशंसा वाले कर्म
जिनमे अल्प कालीन यश और कीर्ति हैं
ऐसे आरामदायक साधारण कामो को छोड़ देना
आना इस ओर, जहाँ कठिन पुरुषार्थ हैं।
अधिक परिश्रम और ख्याति भी नाम मात्र की हैं।
परंतु यहाँ समय के साथ पहचान और
मान्यता भी सच्ची एवं मूल्यवान हैं। (7)


 

"द व्हाइट मैंस बर्डन" नस्लवाद से प्रेरित कविता थी, जिसका मूल "गोरो की सर्वश्रेठता" वाली विचारधारा थी, इसी को मुख्य मुद्दा बनाकर वर्ष 1899 में ब्रिटिश सांसद और समतावादी, हेनरी लाबुशर ने एक कविता लिखी जिसका शीर्षक था "पाइल ऑन द ब्राउन मैंस बर्डन", यह कविता सीधी सीधी रुडयार्ड किप्लिंग की "द व्हाइट मैंस बर्डन" का जवाब थी और गोरो की नस्लवादी धूर्तता एवं साम्राज्यवाद की विस्तृत नीति की तरफ इंगित करती थी। कविता अंग्रेज़ो पर एक व्यंग और कटाक्ष की तरह लिखी  गयी हैं।


The Brown Man's Burden - Henry Labouchère (1899)

Pile on the brown man's burden
    To gratify your greed;
Go, clear away the "niggers"
    Who progress would impede;
Be very stern, for truly
    'Tis useless to be mild
With new-caught, sullen peoples,
    Half devil and half child. (1)

भूरे व्यक्ति के बोझ को बढ़ाते रहो
अपने लोभ की पूर्ति के लिए
जाओ, उन निग्गर (काले अफ्रीकन) को साफ कर दो
क्यूंकी उनका विकास तुम्हारे लिए बाधक हैं।
तुम्हें बहुत कठोर होना पड़ेगा; असल में
इनके साथ नरमी बरतना बेकार हैं (क्योंकि),
ये नए बन्दी अर्द्धसभ्य, बर्बर और असंस्कृत हैं, (1)



 
Pile on the brown man's burden;
    And, if ye rouse his hate,
Meet his old-fashioned reasons
    With Maxims up to date.
With shells and dumdum bullets
    A hundred times made plain
The brown man's loss must ever
    Imply the white man's gain. (2)

भूरे व्यक्ति के बोझ को बढ़ाते रहो
और यदि वह विद्रोह करे तो;
तो अपनी मेक्सिम बंदूकों से,
उनके प्राचीन हथियारो का जवाब दो;
अपने गोलों और दमदम करतूसों से
उसे अपनी ताकत का एहसास करवाओ
कि, भूरे व्यक्ति का नुकसान हमेशा
एक गोरे का फ़ायदा होता हैं। (2)


 
Pile on the brown man's burden,
    compel him to be free;
Let all your manifestoes
    Reek with philanthropy.
And if with heathen folly
    He dares your will dispute,
Then, in the name of freedom,
    Don't hesitate to shoot. (3)

भूरे व्यक्ति के बोझ को बढ़ाते रहो
उसे आज़ाद होने के लिए विवश कर दो
अपने सारे घोषणा पत्र, उसकी भलाई से भर दो
और यदि वह असभ्य मूर्ख तुम्हारी इच्छा को चुनौती दे
तो, स्वतन्त्रता के नाम पर उसे गोली मारने मे मत हिचकिचाओ (3)



 
Pile on the brown man's burden,
    And if his cry be sore,
That surely need not irk you--
    Ye've driven slaves before.
Seize on his ports and pastures,
    The fields his people tread;
Go make from them your living,
    And mark them with his dead. (4)

भूरे व्यक्ति के बोझ को बढ़ाते रहो
और यदि उसकी पीड़ा असहनीय हो जाये
तो भी तुम न घबराओ
क्योकि तुमने गुलामो को पहले भी रखा हैं
उसके बन्दरगाह और चरागाह और
उसके लोगो की कृषिभूमि कब्जा लो
जाओ, इनसे तुम धन कमाओ
और उनके जीवन से इस पुष्ट करो (4)

 
Pile on the brown man's burden,
    And through the world proclaim
That ye are Freedom's agent--
    There's no more paying game!
And, should your own past history
    Straight in your teeth be thrown,
Retort that independence
    Is good for whites alone. (5)

भूरे व्यक्ति के बोझ को बढ़ाते रहो
और इस वैश्विक पटल पर उद्घोषणा करो
की तुम आज़ादी के मुखर प्रतिनिधि हो
अब आगे कोई शब्दो का खेल नहीं होगा
और तुम्हें शायद अपना पुराना इतिहास
अपने मुह से बताना चाहिए
कि प्रत्युत्तर आज़ादी
केवल गोरो के लिए बनी हैं। (5)

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